भारत-नेपाल की सीमा पर हो रही तस्करी से हो रहा राजस्व नुकसान, युवाओं पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव
ठूठीबारी कोतवाली क्षेत्र, जहां भारतीय और नेपाली सीमा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, खाद्यान्न तस्करी का एक नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। पेट्रोल पंप के पास स्थित राजाबारी क्षेत्र से बेखौफ तस्कर भारत से खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं को नेपाल भेजने में जुटे हैं, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बड़ा झटका लग रहा है। तस्करों का यह जाल न केवल सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी अपने शिकंजे में फंसा रहा है।
तस्करी के बढ़ते मामलों से सबसे बड़ा नुकसान राजस्व का हो रहा है। भारतीय खाद्यान्न तस्करी के माध्यम से नेपाल पहुंच रहे हैं, जिससे दोनों सरकारों को कर की भारी हानि उठानी पड़ रही है। इसके अलावा, इस तस्करी से भारतीय बाजार में आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने का खतरा है।
इस तस्करी का असर केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि इसका गहरा सामाजिक प्रभाव भी पड़ रहा है। ठूठीबारी क्षेत्र के कई युवा जल्दी पैसे कमाने की लालच में इस अवैध धंधे में शामिल हो रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए घातक साबित हो सकता है। वे साइकिल से रोजाना कई बार खाद्यान्न और अन्य वस्तुएं नेपाल पहुंचाते हैं, और इसके बदले में उन्हें प्रति साइकिल 100 रुपये मिलते हैं। इस प्रकार, वे प्रतिदिन 1000 से 1200 रुपये कमा लेते हैं। परंतु यह तात्कालिक लाभ उनके जीवन के लिए एक दीर्घकालिक नुकसान बन सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी:
तस्करी की इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। ठूठीबारी कोतवाली, कस्टम विभाग, और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के होते हुए भी यह अवैध धंधा दिन-रात जारी है। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों यह सुरक्षा एजेंसियां तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं? सीसीटीवी फुटेज से साफ जाहिर है कि तस्कर बेखौफ होकर अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।
समाधान के रास्ते:
इस बढ़ती तस्करी को रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। भारतीय और नेपाली सरकारों को मिलकर सख्त कानून लागू करने चाहिए ताकि इस तस्करी पर अंकुश लगाया जा सके। साथ ही, युवाओं को इस अवैध धंधे से बाहर निकालने के लिए रोजगार के वैकल्पिक साधन प्रदान किए जाने चाहिए।
खाद्यान्न तस्करी से महंगाई पर प्रभाव:तस्करी से भारत में खाद्यान्न की आपूर्ति कम हो रही है, जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा है। प्याज, लहसुन, चावल, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी आ सकती है, जो पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए और मुश्किलें पैदा करेगी।
ठूठीबारी में खाद्यान्न तस्करी न केवल राजस्व हानि का कारण बन रही है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य के लिए भी गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही है। अगर जल्दी ही इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम हो सकते हैं।