SP ने अनुशासनहीनता व लापरवाही में किया निलम्बन की कार्यवाही एसओ सहित एसआई व हेड कांस्टेबल पर गिरी गाज
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ठूठीबारी कोतवाली को पहली बार मिली महिला थानेदार को ताज
न्यूज़ डेस्क ठूठीबारी(बॉर्डर न्यूज़ लाइव)
ठूठीबारी। भारत नेपाल की सीमा पर तस्करी आम बात है ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि बकरे की तस्करी हुई है, बल्कि पुलिसिया लाइन पर हर दिन करीब 10 से 20 पिकअप बकरे विभिन्न छोटी अवैध रास्तों से चरवाहा बन उसे नेपाल भेज दिया जाता है। हां यह जरुर है कि इस बार एसएसबी द्वारा की गई रिकवरी पर पुलिस ने कोई कार्यवाही ना करते हुए उन्हें छोड़ दिया। यहां तक की इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी नहीं दी गई। जिसे घोर अनुशासनहीनता व लापरवाही मानते हुए पुलिस अधीक्षक महराजगंज डाक्टर कौस्तुभ ने बड़ी कार्यवाही करते हुए ठूठीबारी एसओ उमेश कुमार, सब इंस्पेक्टर अजय कुमार व हेड कांस्टेबल कैलाश द्विवेदी को निलम्बित कर नए एसओ की तैनाती कर दी।
अब जान लेते है क्या है पूरा मामला…..
बहराइच से दो पिकअप पर लदे बकरे को नेपाल लेकर जा रहे लोगों को एसएसबी जवानों ने ठूठीबारी कोतवाली क्षेत्र के कडजा गांव के सिवान से शुक्रवार शाम को पकड़ा था। पिकअप समेत दोनों आरोपियों को ठूठीबारी पुलिस को सौंप दिया। इस प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। मामले की जानकारी एसपी को हुई तो शनिवार सुबह ठूठीबारी थाना प्रभारी उमेश कुमार, उपनिरीक्षक अजय कुमार व मुख्य आरक्षी कैलाश द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार, पिकअप में 111 बकरे लदे थे। इन बकरों को नेपाल पहुंचाया जा रहा था। नेपाल में दशहरा पर्व को देखते हुए भारतीय बकरों की मांग बढ़ गई है। शुक्रवार रात पिकअप पर बकरियों को दो लोग ले जा रहे थे। ठूठीबारी कोतवाली क्षेत्र के कडजा गांव के सिवान में एसएसबी जवानों ने पिकअप को पकड़ लिया। वहीं, ठूठीबारी कोतवाली पुलिस प्रक्रिया के अनुसार पिकअप पर लदे बकरों को मालिक लक्ष्मीपुर खूर्द निवासी रमजान, अब्दुल, सबरेआलम, फिरोज को सौंप दिया।
आरोप है कि ठूठीबारी कोतवाली प्रभारी उमेश कुमार एसएसबी द्वारा सुपुर्द दो पिकअप पर लदे 111 बकरों के संबंध में पुलिस अधीक्षक को न ही कोई सूचना दी और न ही फर्द लिखा। इसे लापरवाही मानते हुए कार्रवाई की गई। पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ ने बताया कि ठूठीबारी थानेदार, उप निरीक्षक व एक हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है। लापरवाही किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पहली बार किसी महिला थानेदार को मिली ठूठीबारी कोतवाली का प्रभार…
कोतवाली प्रभारी के निलंबित होने के बाद नया थानेदार कंचन राय को बनाया गया। यह कोतवाली की पहली महिला थानेदार तैनात हुई है। उन्होंने बताया कि शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करना पहली प्राथमिकता होगी। अपराध नियंत्रण पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
पशु क्रूरता अधिनियम में दोनों आरोपियों को जेल
दो पिकअप पर लदे 111 बकरे छोड़ने के मामले में जिस पर पिकअप चालक मोहम्मद अखलाख व मोहम्मद सुहेल के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया गया।
नेपाल के नारायण घाट और काठमांडू भेजे जाते हैं बकरे ज्यादातर तस्कर पगडंडियों से अधिक संख्या में बकरों को पार करा देते, प्रतिदिन पशुओं से भरी 10 से 20 गाड़ियां होती सरहद पार।
इन दिनों नेपाल में दशहरा पर्व को देखते हुए नेपाल में भारतीय बकरों की मांग बढ़ी है। नेपाल के नारायणघाट और काठमांडू तक बकरे भेजे जाते है। प्रतिदिन पशुओं से भरी 10 से 20 गाड़ियां सरहद पार होती है। नेपाल में एक बकरे की कीमत करीब पैंतालीस सौ से पांच हजार रुपये है। सस्ते दर पर भारतीय क्षेत्र में बकरों को खरीदकर तस्कर आसानी से सरहद पार करा देते हैं। ज्यादातर तस्कर पगडंडियों से अधिक संख्या में बकरों को पार करा देते हैं।
सूत्रों के अनुसार, तस्कर आए दिन बाॅर्डर पार कराने की कोशिश करते हैं। पकड़े गए तो बोलते हैं कि साहब सीमा के बारे में जानकारी नहीं थी कि आगे नेपाल हैं। इसलिए चले आए और पकड़ लिए गए। वहीं, अगर सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचें तो आसानी से लेकर चले जाते हैं। तस्करी के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि भारत और नेपाल में रेट में बड़ा अंतर हैं। 300-400 रुपये प्रति किलो नेपाल में कीमत अधिक है। एक बकरे पर कम से कम नेपाल में चार हजार रुपये अधिक मिल जाता है, इसलिए तस्कर बकरे की तस्करी करने लगे हैं। नेपाल सीमा से झुलनीपुर, लक्ष्मीपुर, ठूठीबारी, बरगदवा समेत अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों से बकरे नेपाल पहुंचा दिए जाते हैं।
एक बकरे में 4500 से 5000 हजार रुपये मिल जाता
सीमा से सटे नेपाल मीट शॉप चलाने वाले मुस्तफा के मुताबिक भारतीय मुद्रा से एक किलो बकरे की मीट 1000-1100 रुपये में बिकता है। वहीं, भारतीय बाजार में बकरा बेचने समसुद्दीन ने बताया कि 650-700 रुपये प्रति किलो की दर से बकरे का मांस बेचा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बकरे की तस्करी इसलिए लोग कर रहे हैं कि यह आसान है। पकड़े जाने का डर कम है और रुपये बहुत अधिक है। अगर एक स्वस्थ बकरा या फिर बकरी नेपाल में लेकर पहुंच जाएं तो उसका वजन 18 से 20 किलो होना। काटने के बाद मांस 13-15 किलो तक निकलेगा। इस औसत से अगर 300 रुपये प्रति किलो अधिक कीमत मिल जाए तो एक बकरे में 4500 से 5000 हजार रुपये मिल जाता है। अब सोचिए अगर 50 और 1000 की संख्या में पहुंचा रहे हैं तो कितना मुनाफा होगा। इसलिए सीमा पर बकरियों की तस्करी बढ़ गई है।