स्ट्रीट लाइट महीनों से खराब, सुरक्षा पर असर
पेयजल की किल्लत, गर्मी में परेशानी दोगुनी
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
महराजगंज। भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र स्थित ठूठीबारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) वर्षों के संघर्ष के बाद तो अस्तित्व में आया, लेकिन इसकी स्वास्थ्य सेवाएं आज भी फार्मासिस्ट और सप्ताह में एक दिन आने वाले डॉक्टरों के सहारे चल रही हैं। संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन संचालन ठप है।
यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध होते हुए भी गंभीर रूप से संचालन विहीन है। वर्षों की प्रतीक्षा और संघर्ष के बाद यह स्वास्थ्य केंद्र तो स्थापित हो गया, लेकिन आज भी यहां एक भी स्थायी डॉक्टर तैनात नहीं है। न तो भर्ती की सुविधा उपलब्ध है और न ही आपातकालीन चिकित्सा। गंभीर मरीजों को या तो निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है या फिर निचलौल रेफर किया जा रहा है।
वर्तमान में यहां कुछ अस्थायी डॉक्टर सप्ताह में एक-एक दिन सेवा देने आते हैं, जैसे कि सोमवार और गुरुवार को डॉ. राकेश, मंगलवार को डॉ. संदीप, बुधवार को डॉ. अमरनाथ और शुक्रवार को डॉ. सौरभ। लेकिन ये सीमित दिन और सीमित घंटे की सेवाएं बढ़ती बीमारियों और मरीजों की भीड़ के सामने ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही हैं। मरीजों को सामान्य उपचार के लिए भी हफ्तों इंतजार करना पड़ रहा है, जो स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को उजागर करता है।
हास्यास्पद यह है कि केंद्र पर डिजिटल एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और दंत चिकित्सा उपकरण तो उपलब्ध हैं, लेकिन इनके संचालन हेतु आवश्यक तकनीशियन और विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी। संसाधन शो-पीस बनकर रह गए हैं। हाल ही में एक नर्स की तैनाती अवश्य हुई है, लेकिन अनुभव की कमी के चलते गर्भवती महिलाओं की देखभाल तक गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। सुरक्षित प्रसव की कोई व्यवस्था नहीं है।
स्टाफ की तैनाती को लेकर भी स्थिति बेहद अस्पष्ट है। दो में से एक वार्ड बॉय को निचलौल स्थानांतरित कर दिया गया है, फिर भी उसका नाम अब भी ठूठीबारी सीएचसी की सूची में दर्शाया जा रहा है, जिससे जिम्मेदारी और कार्य विभाजन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
बुनियादी सुविधाएं भी पूरी तरह चरमराई हुई हैं। महीनों से स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी है, जिससे रात्रिकालीन समय में सुरक्षा का खतरा बना रहता है। गर्मी के इस मौसम में पेयजल की भारी किल्लत है, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते कोई समाधान नहीं निकल सका है।
सबसे चिंता की बात यह है कि शिकायतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी बनी हुई है, जैसे इस सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों का जीवन और स्वास्थ्य किसी के एजेंडे में ही न हो। यह स्पष्ट है कि संसाधन होते हुए भी, यदि प्रशासन और विभाग सक्रिय न हों, तो सेवाएं लोगों तक नहीं पहुंच पातीं।
अब समय आ गया है कि ठूठीबारी सीएचसी को फार्मासिस्ट के भरोसे छोड़ने के बजाय इसे एक सक्रिय, सेवापरक और पूर्णकालिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। जनता को उसका मौलिक अधिकार – बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलनी ही चाहिए।
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