ठूठीबारी/महराजगंज । बृहस्पतिवार को स्थानीय राधा कुमारी इंटर कॉलेज, ठूठीबारी में भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व छात्र (हाईस्कूल 1972 बैच) सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, जो सेवानिवृत्त सहायक अभियंता हैं, ने भी भाग लिया। उन्होंने इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा 2024 के छात्र अभिनव रौनियार पुत्र प्रमोद कुमार गुप्ता और हाईस्कूल के छात्र श्याम बिहारी पुत्र स्वर्गीय परशुराम, ग्राम शीशगढ़ को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 5000-5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
विद्यालय के प्रधानाचार्य रविकांत जाटव ने दोनों छात्रों को प्रशस्ति पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉ. राधाकृष्णन के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुए छात्र-छात्राओं को बताया गया कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुतनी और वेल्लोर में हुई और बाद में उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनका पूरा जीवन शिक्षा और अध्यापन को समर्पित रहा, और वह भारतीय दर्शनशास्त्र के गहरे जानकार थे।
राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की और उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराया। उनका मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, चरित्र और समाज सेवा का मार्ग भी दिखाता है। उनकी शिक्षण शैली और विद्यार्थियों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता ने उन्हें महान शिक्षक के रूप में स्थापित किया।
डॉ. राधाकृष्णन 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने और 1962 में देश के राष्ट्रपति का पदभार संभाला। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में भी शिक्षा और नैतिकता के मूल्यों को प्राथमिकता दी। उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का मुख्य उद्देश्य उनके शिक्षा के प्रति समर्पण और शिक्षकों के प्रति आदर को प्रकट करना है।
छात्रों के लिए सीख
डॉ. राधाकृष्णन से आज के छात्रों को कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं:
नैतिकता और अनुशासन: शिक्षा का मूल उद्देश्य न केवल ज्ञान प्राप्त करना है, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी अपनाना है।
समर्पण और अनुशासन: जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने कार्य के प्रति समर्पण और अनुशासन होना आवश्यक है।
शिक्षकों का सम्मान: शिक्षकों का जीवन में एक विशेष स्थान होता है और उन्हें हमेशा आदर और सम्मान देना चाहिए।
शिक्षा का सामाजिक योगदान: शिक्षा केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी होनी चाहिए।
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक रविकांत जाटव, वेद प्रकाश, आदित्य मिश्रा, प्रमोद कुमार गुप्ता, संतलाल यादव, सुनिल कुमार, प्रमोद कुमार, संतोष कुमार, रामकेवाल यादव, तिलक, राजकुमार, विनय राव, सुभाष पटेल, आशुतोष वर्मा, गिरजेश यादव सहित विद्यालय के छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।